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Community Health Nursing MCQs (Practice Set 03) Staff Nurse Previous Year solved Questions/SGPGI Staff Nurse MCQs 2025//

  Community Health Nursing MCQs (Practice Set 03) Q.1. Which of the following is primary infection of polio? /  पोलियो का प्राथमिक संक्रमण निम्न में से किस अंग तंत्र में होता है? (a) Urinary system / मूत्र प्रणाली (b) Respiratory system / श्वसन तंत्र (c) Alimentary canal / पाचन तंत्र  (d) Cardio vascular system / हृदय और रक्त परिसंचरण तंत्र Answer / उत्तर: (c) Alimentary canal Explanation / व्याख्या: पोलियो वायरस का प्राथमिक संक्रमण पाचन तंत्र (Alimentary canal) में होता है और यह मल-मुख मार्ग (Feco-oral route) से फैलता है। वायरस आंतों में प्रवेश करता है और फिर रक्त के माध्यम से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में पहुँच सकता है। Q.2. Prevention of Food Adulteration Act was initiated/launched in /  खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम किस वर्ष प्रारंभ किया गया था? (a) 1955 (b) 1954  (c) 1933 (d) 1911 Answer / उत्तर: (b) 1954 Explanation / व्याख्या: Prevention of Food Adulteration Act (PFA) वर्ष 1954 में लागू किया गया था ताकि खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोका जा सके और जनता को सु...

स्थानीय स्वशासन (पंचायती राज अधिनियम)

स्थानीय स्वशासन___ स्थानीय स्वशासन एक ऐसा शासन है जो अपने सीमित क्षेत्रों में प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करता हो।______जी.डी.एच.कोल

सिद्धांत रूप में स्थानीय स्वशासन से तात्पर्य है_ स्थानीय स्तर पर लोगों को शासन में भागीदार बनाकर लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को सुनिश्चित करना है।

भारतीय ग्रामीण प्रशासन के लिए पंचायतों की व्यवस्था का उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है। जिस में उल्लेखित है कि वैदिक काल में गांव प्रशासन की आधारभूत इकाई थी।

ब्रिटिश काल में भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मेयो ने प्रशासनिक दक्षता लाने के लिए 1870 ई. शहरी नगर पालिकाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों की अवधारण प्रारंभ की।

रिपन प्रस्ताव (1882 ई.) (जिसे भारतीय प्रशासन की संस्था का मैग्नाकार्टा कहा जाता है) में नगरी स्थानीय संस्थाओं के साथ-साथ ग्राम पंचायतों ने पंचायतों एवं जिला स्तर पर जिला बोर्ड के गठन का प्रस्ताव रखा गया थ।

भारत शासन अधिनियम 1919 के अनुसार, पंचायतों को हस्तांतरित विषय के रूप में शामिल किया गया तथा इसके संबंध में विधि बनाने की शक्ति प्रांतीय विधायिकाओं को सौंप दी गई।

इन्हीं प्रावधानों के अनुरूप सन 1920 से 1930 के मध्य मद्रास, बिहार, बंगाल ,असम व पंजाब राज्यों में पंचायतों की स्थापना संबंधी कानून बनाए गए।


स्वतंत्रता के पश्चात पंचायती राज____& गांधीजी के ग्राम स्वराज की अवधारणा को साकार रूप प्रदान करने तथा स्थानीय विषयों के संदर्भ में स्थानीय समुदायों को प्रशासन का अधिकार देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने अनेक प्रयास किए।

संविधान सभा में पंचायती राज व्यवस्था का समर्थन प्रसिद्ध गांधीवादी श्रीमन्नारायण अग्रवाल ने किया और पंचायती राज को संविधान के नीति निर्देशक तत्वों के भाग में सम्मिलित किया गया।

अनुच्छेद 40) स्वतंत्र भारत में जे सी कुमारप्पा ने गांधीवादी आदर्शों के आधार पर गांधीवादी अर्थव्यवस्था का समर्थन किया।

* इन्हीं लक्ष्य के अनुरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 2 अक्टूबर 1952 को सामुदायिक विकास कार्यक्रमों की शुरुआत की।

जो कि फोर्ड फाउंडेशन के सहयोग से आरंभ किया गया था।

* इस कार्यक्रम का उद्देश्य, आर्थिक विकास एवं सामाजिक सुधार कार्यक्रमों के प्रति लोगों में उत्साह पैदा करना एवं उनकी भागीदारी बढ़ाना था। परंतु सीमित जन सहभागिता के कारण यह कार्यक्रम सफल रहा।


पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित प्रमुख समितियां*

बलवंत राय मेहता समिति 1957_____

योजना आयोग द्वारा नियुक्त इस समिति का प्रमुख उद्देश्य उन कारणों का पता करना था जो सामुदायिक विकास कार्यक्रमों की संरचना एवं कार्य प्रणाली की सफलता में बाधक थी।

इस समिति की प्रमुख अनुशंसाएं निम्नलिखित थी___

1- ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत

2- मध्यवर्ती स्तर पर ब्लॉक पंचायत या पंचायत समिति

3- उच्चतम स्तर पर जिला परिषद

4- सरकार का इसमें न्यूनतम हस्तक्षेप हो और वह केवल निरीक्षण मार्गदर्शन एवं उच्च स्तर की योजना बनाने तक ही स्वयं को सीमित रखें।

*उक्त सिफारिशों को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं की स्थापना के लिए प्रेरित किया।

* सर्वप्रथम 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंडित जवाहरलाल नेहरु के द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत का उद्घाटन किया गया।

* इसके बाद 11 अक्टूबर 1959 को आंध्र प्रदेश के जिले में यह व्यवस्था आरंभ की गई। वर्ष 1960 में तमिलनाडु, कर्नाटक तथा असम में 1962 ईस्वी में ,महाराष्ट्र में 1963 ई. गुजरात तथा 1964 में पश्चिम बंगाल में व्यवस्था लागू की गई थी। कालांतर में प्रदेश के लगभग सभी भागों में इस व्यवस्था को लागू कर दिया गया।


अशोक मेहता समिति 1977____

13 सदस्यी अशोक मेहता समिति का गठन पंचायती राज व्यवस्था में उत्पन्न कमियों को दूर करने के लिए किया गया था। इसमें निम्नलिखित अनुशंसाएं थी_____

* पंचायतों की संरचना द्विस्तरीय हो जिसमें प्रथम स्तर पर मंडल पंचायत (जिसमें 15-20 गांव शामिल हो) तथा द्वितीय स्तर पर जिला परिषद हो।

* न्याय पंचायत का गठन किया जाए

* पंचायतों का कार्यकाल 4 वर्ष हो

* पंचायतों में दलीय आधार पर चुनाव हो

* पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक स्वरूप प्रदान किया जाना चाहिए।

* पंचायतों के लिए पृथक वित्त आयोग की व्यवस्था

* अनुसूचित जातियों जनजातियों को उनकी जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व प्राप्त हो।


पीवी के राव समिति 1985___इस समिति का प्रमुख उद्देश्य निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों एवं ग्रामीण विकास से संबंधित प्रशासनिक ढांचे की समीक्षा करना था। इस समिति को कार्ड समिति के नाम से भी जाना जाता है।

* जिला स्तर पर पंचायती राज संस्थाओं को ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की योजना, क्रियान्वयन एवं निगरानी के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

* योजनाओं की प्रगति को अल्पधिक विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिए।

* जिला परिषद को विकास कार्यों के प्रमुख संस्थाओं के रूप में अनुबंध प्रेरित किया जाना चाहिए।

* चुनाव की नियमित अनिवार्यता के साथ पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्ष निश्चित किया जाना चाहिए।

* पंचायतों की विधि व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाना चाहिए।


एलएम सिंघवी समिति 1986____& वर्ष 1986 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पंचायती राज व्यवस्था के सुधार के लिए एक अवधारणा पत्र प्रस्तुत करने के लिए किस समिति का गठन किया था। इस ने नवंबर 1986 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसके प्रमुख प्रावधान निम्न थे____

* पंचायतों में दलों की भागीदारी नहीं दी जानी चाहिए।

* पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया जाना चाहिए।

* ग्रामीण न्यायालयों या न्याय पंचायतों की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।

* पंचायतों के चुनाव को निष्पक्ष रुप से एवं नियमित अंतराल पर कराने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को उत्तरदायित्व दिया जाना चाहिए।

* प्रत्येक पंचायतों की समस्याओं एवं विवादों के निपटान के लिए पंचायती राज अधिकरण की स्थापना की जानी चाहिए।

* केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्य वित्त आयोग का गठन करें जो पंचायतों के लिए पर्याप्त वित्तीय व्यवस्था सुनिश्चित कर सकें।

* पंचायतों की आर्थिक सुदृढ़ता के लिए उन्हें करारोपण की पर्याप्त शक्ति प्रदान की जानी चाहिए।

* प्रत्येक प्रशासनिक अधिकारी को ग्रामीण विकास प्रशासन में कार्य करने का अवसर निश्चित रूप से दिया जाना चाहिए।

पीके थुंगन समिति 1988____& वर्ष 1988 में थुंगन समिति ने पंचायती राज को संवैधानिक आधार देने का समर्थन किया, परंतु थुंगन समिति के अनुसार भारत में पंचायतों का संबंध सीधा संघ सरकार से होना चाहिए।

अतः समिति ने पंचायती राज को राज्यों का विषय नहीं माना। थुंगन समिति की सिफारिशें निम्नलिखित है___

* त्रिस्तरीय पंचायती राज को संवैधानिक आधार दिया जाए।

* पंचायती राज में महिलाओं अनुसूचित जाति व जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया जाए।

* प्रत्येक राज्य में वित्त आयोग स्थापित की जाए।

* एक नियोजन तथा समन्वय समिति (planning and co-ordination committee) बनाई जाए जिसका अध्यक्ष राज्य नियोजन मंत्री होगा तथा जिला परिषदों के अध्यक्ष इस समिति के सदस्य होंगे।

* ग्राम पंचायतों को सीमित न्यायिक अधिकार दिया जाए।

* पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्ष तथा राज्यों की इच्छा अनुसार कम भी हो सकता है परंतु या किसी भी दशा में 3 वर्ष से कम नहीं होगा।


बीएल पाटिल समिति____इस समिति का गठन कांग्रेस पार्टी के भीतर किया गया था जिसे विभिन्न समितियों की यह रिपोर्ट ओं पर विचार करते सुबह पंचायती राज्य कार्यक्रम के संबंध में सिफारिशें देनी थी।


पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा_____वर्ष 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने पंचायतों की सुधार व सशक्तिकरण में विशेष रूचि ली तथा एलेन सिंघवी समिति और थुंगन समिति की सिफारिशों के आधार पर लोकसभा में 64 वा संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया।

जिसे लोकसभा द्वारा पारित कर दिया गया लेकिन राज्यसभा द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने के कारण विधेयक समाप्त हो गया।

* तत्पश्चात, वर्ष 1992 में पंचायत संबंधी प्रावधान के लिए प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव द्वारा 73वां संविधान संशोधन विधेयक संसद में लाया गया, जिसे लोकसभा एवं राज्यसभा ने क्रमशः 22 एवं 23 दिसंबर 1992 को पारित कर दिया।

* 17 राज्यों की विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद 20 अप्रैल 1993 को राष्ट्रपति ने इस विधेयक पर अपनी सहमति प्रदान कर दी। 24 अप्रैल 1993 से 73वां संविधान संशोधन अधिनियम पूरे देश में लागू हो गया।



















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